सिक्कों के संसार में डॉ.राजेश संस्कृति की विरासत को संभाल रहे हैं। उनके पास पहली सदी से लेकर स्वतंत्र भारत यानि 1950 तक के सिक्कों का संग्रह है। यहीं नहीं कई देशों के सिक्के, करेंसी और डाकटिकटों का संकलन भी उन्होंने किया है। करीब 45 वर्षों के परिश्रम के बाद उन्होंने यह उपलब्धि प्राप्त की है। जिसके जरिए वह एतिहासिक विरासत को रूबरू करा रहे हैं।
नगर के पुराना बाजार निवासी डॉ.राजेश अग्रवाल एसएमजेईसी इंटर कॉलेज में प्रवक्ता हैं। वह विगत 45 वर्षों से सिक्कों का संग्रह कर रहे हैं। उनके इस परिश्रम का परिणाम यह हुआ कि आज उनके पास भारत व विश्व के हजारों वर्ष पुराने एतिहासिक व दुर्लभ सिक्कों का अनमोल खजाना है। डॉ.अग्रवाल बताते हैं कि उनके बाबा ने उन्हें कुछ दुर्लभ सिक्के दिए थे। जो 150 वर्षों से उनके परिवार के पास थे। इन्हीं दुर्लभ सिक्कों को देखकर उनके अंदर पुराने से पुराने सिक्कों का संग्रह करने की रुचि जागृत हुई और उसके बाद से वह इसी कार्य में जुट गए।
अथक परिश्रम की बदौलत डॉ.राजेश अग्रवाल के पास 150 देशों के 5 हजार सिक्के, उनमें 300 सिक्के चांदी के हैं। 50 देशों के 350 करेंसी नोट तथा दो सौ देशों के 3500 डाकटिकट हैं। जिनकी कीमत लाखों रुपये की है। डॉ राजेश अग्रवाल ने बताया कि नगर में एक संग्रहालय बनाकर ज्ञानबर्धन के लिए एतिहासिक विरासतों को रखा जाए।